18+ यौन हतमैथुन :

हस्तमैथुन :( Masturbation) शारीरिक मनोविज्ञान से सम्बन्धित एक सामान्य प्रक्रिया का नाम है जिसे यौन सन्तुष्टि हेतु पुरुष हो या स्त्री, कभी न कभी सभी करते है। इसे केवल युवा ही नहीं बल्कि बुड्ढे-बुड्ढे लोग भी लिंगोत्थान हेतु करते हैं इससे उन्हें यह अहसास होता है कि वे अभी भी यौन-क्रिया करने में सक्षम हैं।
अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करना युवा लड़कों तथा लड़कियों के लिये उस समय आवश्यक हो जाता है जब उनकी किसी कारण वश शादी नहीं हो पाती या वे असामान्य रूप से सेक्सुअली स्ट्रांग होते हैं। अब तो विज्ञान द्वारा भी यह सिद्ध किया जा चुका है कि इससे कोई हानि नहीं होती। पुरुषों की तरह महिलाएँ
भी अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करने के तरीके खोज लेती हैं जो उन्हें बेहद संवेदनशील अनुभव और प्रबल उत्तेजना प्रदान करते हैं। फिर चाहें वे अकेली हों या अपनी महिला पार्टनर के साथ। महिलाएँ यदि अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित न करें तो इस बात की भी सम्भावना बनी रहती है कि विवाह के बाद सेक्स क्रिया के दौरान उन्हें पर्याप्त उत्तेजना से वंचित रहना पड़े। औसत तौर पर पुरुष 12-13 वर्ष की उम्र में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं जबकि महिलाएँ तरुणाई (13 से 19 वर्ष) के अन्तिम दौर में हस्तमैथुन का आनन्द लेना शुरू करती हैं, लेकिन उनमें यह मामला इतना ढँका और छिपा हुआ रहता है कि कभी किसी चर्चा में भी सामने नहीं आ पाता। पूर्ण तरुण होने पर हस्तमैथुन का मामला खुले रहस्य की ओर झुकाव तो लेने लगता है पर ज्यादातर लोग इस मामले पर पर्दा ही पड़े रहना देना बेहतर समझते हैं। लेकिन अब जमाना बिल्कुल बदल गया है। अब कुछ ऐसे युवा तैयार हो रहे हैं जो इन वर्जनाओं को तोड़ कर हस्तमैथुन के तरीकों पर चर्चा में खुलकर हिस्सा ले रहे हैं।

पुरुष कैसे करते हैं


अपने आप हस्तमैथुन करता एक युवा पुरुष
पुरुष अपने शिश्न या लिंग को अपनी मुट्ठी में दबाकर या अपनी अँगुलियाँ से पकड़ कर इसे तेजी से रगड़ना या शिश्न के ऊपर की त्वचा को आगे-पीछे हिलाना शुरु करते हैं। यह प्रक्रिया कभी-कभी वे लिंगमुण्ड पर चिकनाई लगाकर भी करते हैं। इस कार्य में उन्हें अपार आनन्द की अनुभूति होती हैं। ये कार्य वे तब तक जारी रखते हैं जब तक उनका वीर्यपात या वीर्य स्खलन नहीं हो जाता।
इसके अतिरिक्त कभी कभार पुरुष तकिये के बीच में अपना लिंग दबा कर धीरे-धीरे आगे पीछे धक्का देते हुए इस तरह हिलाते हैं मानो वे किसी स्त्री की योनि में अपना पुरुषांग प्रविष्ठ कर रहे हों। अब तो कई प्रकार के नकली महिला जननांग भी बाजार में उपलब्ध हैं जो सॉफ्ट फाइवर के बने होते हैं और महिला जननांग जैसा ही अनुभव देते हैं। कुछ पुरुषों द्वारा इस प्रकार के उपाय भी स्वयं की यौन-सन्तुष्टि हेतु किये जाते हैं।

स्त्रियाँ कैसे करती हैं

स्त्रियाँ अपनी योनि को हिलाना या रगड़ना शुरू करती हैं। खासतौर पर वे अपने भगोष्ट को अपनी तर्जनी या मध्यमा अँगुली से हिलाती हैं। कभी-कभी योनि के अन्दर एक या दो से ज्यादा अँगुलियाँ डालकर उस हिस्से को हिलाना शुरू करती हैं जिस स्थान पर जी स्पाट होता है इसके लिए वे वाइब्रेटर अथवा डिल्डो का सहारा भी लेती हैं। बहुत सी महिलाएँ इसके साथ साथ अपने वक्षों को भी रगड़ती हैं। कुछ महिलाएँ उँगली डालकर गुदा को भी उत्तेजित करती हैं। कुछ इसके लिये कृत्रिम चिकनाई का प्रयोग भी करती है लेकिन बहुत सी महिलाएँ प्राकृतिक चिकनाई को ही काफी समझती हैं।
कुछ महिलाएँ केवल विचार और सोच मात्र से ही मदनोत्कर्ष (स्वत:स्खलन सीमा) तक पहुँच जाती हैं। कुछ महिलाएँ अपनी टाँगें कसकर बन्द कर लेती हैं और इतना दबाव डालती हैं जिससे उन्हें स्वत: यौन-सुख अनुभव हो जाता है। ये काम वे सार्वजनिक स्थानों पर भी बिना किसी की नजर में आये कर लेती हैं। इस क्रिया को महिलाएँ बिस्तर पर सीधी या उल्टी लेटकर, कुर्सी पर बैठकर या उकडूँ बैठकर भी करती हैं। लेकिन ऐसी कोई भी क्रिया जिसे बिना शारीरिक सम्पर्क के पूरा किया जाता है इस श्रेणी में नही आती।
भारतवर्ष में महिलाओं द्वारा हस्‍तमैथुन के लिये सब्जियाँ यथा लम्बे वाले बैंगन, खीरा, गाजर, मूली, ककडी आदि अपने जननांग में प्रविष्‍ठ कराकर भी सन्तुष्टि प्राप्‍त की जाती है। कुछ स्कूल में पढने वाली किशोर बालिकायें अपनी योनि में मोटा वाला कलम (पेन), मोमबत्ती या मोटी पेन्सिल डालकर हिलाती हैं। इस क्रिया से भी उन्हें चरमोत्कर्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह भी देखा गया है कि कुछ महिलायें पलंग के किनारे अथवा किसी मेज के किनारे से अपने यौनांग रगड़ कर ही यौन-सुख प्राप्‍त कर लेती हैं।

परस्पर हस्तमैथुन


एक स्त्री व एक पुरुष परस्पर हस्तमैथुन करते हुए
जब स्त्री-पुरुष दोनों एक दूसरे को यौन सुख देने के लिये एक दूसरे का हस्तमैथुन करते है तो उसे अंग्रेजी में नाम दिया गया है-"ओननिज़्म"।
हस्तमैथुन एक व्यक्ति के जननांगों की यौन उत्तेजना को भी प्रभावित करता है। आमतौर पर संभोग से पूर्व स्त्री-पुरुषों में यह उत्तेजना मैन्युअली प्राप्त की जाती है। शारीरिक सम्पर्क (संभोग से कम) किये बिना अन्य प्रकार की वस्तुओं या उपकरणों के उपयोग द्वारा भी परस्पर हस्तमैथुन एक आम बात है जो एक पुरुष साथी अपनी दूसरी महिला साथी को अधिक समय तक यौन सन्तुष्टि प्राप्त करने के लिये करते हैं। अंग्रेजी में इसे "फोरप्ले" कहा जाता है।
पुरुषों और महिलाओं में और भी तकनीकों से हस्तमैथुन के लक्षण पाये जाते हैं, लेकिन इन तरीकों से हस्तमैथुन के अध्ययन में यह पाया गया है कि हस्तमैथुन स्त्री या पुरुष दोनों ही लिंगों और सभी उम्र के इंसानों में अक्सर होता है। यद्यपि वहाँ भिन्नता हो सकती है पर अपवाद नहीं। विभिन्न चिकित्सा पद्धति से मनोवैज्ञानिक लाभ पहुँचा कर यौन क्रिया को सामान्य करने के लिये भी हस्तमैथुन को स्वस्थ प्रक्रिया ठहराया गया है।
सदियों से चली आयी यह धारणा आज गलत सिद्ध हो चुकी है कि हस्तमैथुन से शारीरिक अक्षमता आती है बल्कि आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में "प्रतिदिन एक ओगाज़्म (यौनतुष्टि) हमेशा-हमेशा के लिये डॉक्टर को दूर रखता है।" जैसा क्रान्तिकारी नारा भी मैराथन (लम्बे) स्वास्थ्य के लिये दे दिया गया है।
प्रोस्टेट ग्रंथि एक अंग है जो वीर्य के लिये तरल पदार्थ का योगदान करता है, जैसा कि प्रोस्टेट को गुदा के अन्दर उँगली डालकर महसूस किया जा सकता है। ऐसा करने से भी कभी-कभी आनन्द मिलता है; अत: यह भी हस्तमैथुन का एक तरीका है।
म्युचुअल हस्तमैथुन सभी यौन झुकाव के लोगों द्वारा किया जाने वाला एक अभ्यास है जो पुरुष-लिंग को स्त्री-योनि में प्रवेश किये बिना एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। किशोरियों में उनके कौमार्य को संरक्षित करने के लिये या गर्भावस्था को रोकने के लिये भी यह सहायक हो सकता है। कुछ लोग इसे आकस्मिक सेक्स करने के लिये भी एक विकल्प के रूप में चुनते हैं, क्योंकि यह वास्तविक सेक्स के बिना ही यौन-सन्तुष्टि देता है। कुछ युवा लोगों के लिये, अपने दोस्तों के साथ परस्पर एक दूसरे का लिंग आपस में रगडकर यौन सन्तुष्टि में मदद करता है। कुछ लोगों को यह मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया उनके अपने ओगाज़्म को विकसित करने अथवा अपने सुख में वृद्धि करने के लिये अधिक समय तक हस्तमैथुन करने के लिये प्रेरित भी करती है।
परस्पर हस्तमैथुन जोड़े या समूहों में पुरुषों या महिलाओं द्वारा किया जा सकता है या फिर किसी अन्य व्यक्ति को छूकर या बिना सम्पर्क द्वारा भी सम्पन्न हो सकता है।

हस्तमैथुन पर शोध

हस्तमैथुन की आवृत्ति कई कारकों, जैसे यौन तनाव, हार्मोनल यौन आदतों, सहकर्मी को प्रभावित करने की मनोवृत्ति, उत्तम स्वास्थ्य और पारस्परिक यौन-क्रिया संस्कृति के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। मसलन कोई एक दिन में एक बार, कोई दो बार करता है। यह ठीक उसी तरह जैसे कि भोजन कोई एक बार करता है तो कोई दो बार। इसका सम्बन्ध व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। विभिन्न अध्ययनों में यह निष्कर्ष पाया गया है कि हस्तमैथुन मानवीय प्राणियों में अक्सर होता ही है। अमेरिका की आबादी पर अल्फ्रेड किन्से द्वारा 1950 अध्ययनों से पता चला है कि पुरुषों की 92% और महिलाओं की 62% संख्या में उनके जीवन काल के दौरान हस्तमैथुन की घटनाएँ पायी गयीं। इसी तरह के परिणाम 2007 में किये गये ब्रिटिश राष्ट्रीय सम्भाव्यता सर्वेक्षण में भी पाये गये। उसके अनुसार 16 से 44 वर्ष की आयु वर्ग के व्यक्तियों में पुरुषों की संख्या में 95% और महिलाओं की संख्या में 71% के बीच हुए सर्वेक्षण में पुरुषों की 73% और महिलाओं की 37% संख्या ने अपने साक्षात्कार के दौरान पहले चार हफ्तों में एक बार हस्तमैथुन किये जाने की सूचना दी, जबकि एक अन्य सर्वेक्षण में पुरुषों की 53% और महिलाओं की 18% संख्या ने पिछले सात दिनों में एक बार हस्तमैथुन करने की सूचना दी।
2009 में, ब्रिटेन सरकार द्वारा किशोरावस्था में कम से कम दैनिक हस्तमैथुन करने के लिए प्रोत्साहित करने की रेस में नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय देश भी शामिल हो गये। प्रतिदिन एक ओगाज़्म उनकी स्वास्थ्य निर्देश पुस्तिका में एक अधिकार के रूप में परिभाषित किया गया था। यह अन्य यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से डाटा और अनुभव के जवाब में किया गया था। ऐसा करने से किशोरों में अवांछित गर्भावस्था को रोकने, यौन रोगों (एस०टी०डी०) को कम करने और स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने में सहायक बताया गया।